
गणपतीच्या आरत्या | मराठी आरती संग्रह
गणपतीच्या आरत्या | मराठी आरती संग्रह | Marathi Aarti Sangrah
सुखकर्ता दुखहर्ता आरती लिरिक्स । Sukhkarta Dukhharta Aarti Lyrics
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुम केशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥
लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना॥
नानापरिमळ दुर्वा शेंदूर शमिपत्रें आरती लिरिक्स । Nanaparimal Durva Shendur Shamipatre Aarti Lyrics
नानापरिमळ दुर्वा शेंदूर शमिपत्रें।
लाडू मोद्क अन्ने परिपूरित पात्रें।
ऎसे पूजन केल्या बीजाक्षरमंत्रे।
अष्टहि सिद्धी नवनिधी देसी क्षणमात्रें॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती।
तुझे गुण वर्णाया मज कैची स्फ़ूर्ती
तुझे ध्यान निरंतर जे कोणी करिती।
त्यांची सकलही पापे विघ्नेंही हरती।
वाजी वारण शिबिका सेवक सुत युवती।
सर्वहि पावती अंती भवसागर तरती॥
शरणांगत सर्वस्वें भजती तव चरणी।
कीर्ती तयांची राहे जोवर शशितरणि।
त्रैलोक्यी ते विजयी अदभूत हे करणी।
गोसावीनंदन रत नामस्मरणी॥
शेंदुर लाल चढ़ायो | Shendur Lal Chadhayo lyrics
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥1॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥2॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥3॥
वेदशास्त्रांमाजी तूं मंगलमूर्ती। Vedashastramaji tu mangalmurti lyrics
वेदशास्त्रांमाजी तूं मंगलमूर्ती।
अगणित महिमा तुझा कल्याण स्फ़ूर्ती॥
भक्तांलागी देसी विद्या अभिमत ती।
मोरेश्वर नाम तुझे प्रसिद्ध या जगती॥१॥
जय देव जय देव जय मोरेश्वरा।
तुझा न कळे पार शेषा फ़णिवरा॥धृ.॥
पुळ्यापश्ये नांदे महागणपती।
माघ चतुर्थीला जनयात्रे येती।
जें जें इच्छिति तें तें सर्वही पावती।
गणराजा मज बाळा द्यावी अभिमती॥
एकवीस दुर्वांकुरा नित्ये नेमेसी।
आणूनि जे अर्पिती गणराजयासी॥
त्याचे तू भवबंधन देवा चुकविसी।
विठ्ठलसुत हा ध्यातो तुझिया चरणासी॥
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गणपतीच्या आरत्या
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